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गुरुजी की कवितायें

जयति ब्रह्माकार की | Jayati Brahmaakaar Ki | Swami Satyamitranand Maharaj | ओढ़ली चादर प्रकृति ने

जयति ब्रह्माकार की | Jayati Brahmaakaar Ki | Swami Satyamitranand Maharaj | ओढ़ली चादर प्रकृति ने ओढ़ली चादर प्रकृति ने, कालिमा हट गई सारी। निष्कलंकित रूप धारे, शांत सी निशब्द कारी।।

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विष अमृत मिश्रित जीवन | Vish Amrit Mishrit Jeevan | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj | Kavita

विष अमृत मिश्रित जीवन | Vish Amrit Mishrit Jeevan | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj | Kavita

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उत्तर कुछ आसान नहीं है (कविता) | Uttar Kuch Asan Nahi Hai (Kavita) | Bharat Mata

उत्तर कुछ आसान नहीं है (कविता) | Uttar Kuch Asan Nahi Hai (Kavita) स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज द्धारा रचित कविता ।

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आत्म भाव देना | Aatm Bhav Dena | Bharat Mata

स्वामी सत्यामित्रानंद जी महाराज द्वारा रचित कविता आत्म भाव देना । कर्म के कंधों पर थी, पापों की पोटली। अच्छा हुआ किसी ने लूट ली, खसोट ली। जितना बढ़ता बोझ, उतना ही दबता । कैसे फिर मेरे नाथ ! उसे उठाय

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देही बन जाओ | Dehi Ban Jao | Bharat Mata

देही बन जाओ- स्वामी सत्यामित्रानंद जी महाराज । पक्षियों ने देखा मुझे और मुस्कुराए। बोले प्रतीक्षा बाद, आज तुम हो आए।। पतझड़ का मौसम है, पल्लव हैं झरते। जीवन के दिन भी तो, ऐसे हैं गुजरते।।

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मेरा गान अमर हो जाए | Mera Gaan Amar Ho Jaye | Bharat Mata

मैं गाता हूं इसलिए कि मेरा गान अमर हो जाए, मेरे अंतर की ध्वनि यह म्रियमांण ना होेने पाए. मैं गाता हूं इसलिए कि मेरा गान अमर हो जाए, जब एकाकी सा जीवन नीरस सा लगने लगता है.

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चीन के विरोध में ऐसी अदभुत कविता | सावधान चीन | ओ मदांध रे चीन | O Madhandh Re China | Bharat Mata

सावधान हो कदम बढ़ाना, ओ मदांध चीन रे। चालीस कोटी सुतों के आगे, भूमि न सकता छीन।। भारत सभी देशों के साथ शांति और सौहार्द का रिश्ता कायम रखना चाहता है।

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बिना दाग जीवन | Bina Daag Jeevan | Bharat Mata

बिना दाग जीवन जो जी ले, उसका बड़ा कमाल है। अब कबीर की कहां है चदरिया, मछुआरे का जाल है। यह “तरंग” काव्य संग्रह पाठकों, काव्य - रसिकों के लिए आनंददायी होगा।

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ना तुम कही पास हो ना तुम कही दूर हो | Na Tum Kahi Paas Ho| Bharat Mata (Swami ji ke Swar)

ना तुम कही पास हो ना तुम कही दूर हो | Na Tum Kahi Paas Ho| Bharat Mata (Swami ji ke Swar)

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अभिलाषा | Abhilasha | Bharat Mata

कविता ह्रदय की एक धारा है, समय समय पर रचित इन कविताओं एवम् भजनो का साहित्यिक मूल्य नहीं है स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज

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अभी गतिमान हूँ | Abhi Gatimaan Hoon | Bharat Mata

अभी गतिमान हूँ कविता ह्रदय की एक धारा है, समय समय पर रचित इन कविताओं एवम् भजनो का साहित्यिक मूल्य नहीं है स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज

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उसका जीना भी क्या जीना | Uska Jeena Bhi Kya Jeena (Swami Ji Ke Swar)|Bharat Mata

उसका जीना भी क्या जीना | Uska Jeena Bhi Kya Jeena (Swami Ji Ke Swar)|Bharat Mata

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एक पंछी उड़ रहा था| Ek Panchi Ud Raha Tha | Kavita |Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj |Bharat Mata

एक पंछी उड़ रहा था| Ek Panchi Ud Raha Tha | Kavita |Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj |Bharat Mata

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दीप तुम जलते रहो | स्वामी सत्यमित्रानंद गिरिजी महाराज | Deep Tum Jalte Raho | Bharat Mata

दीप तुम जलते रहो | स्वामी सत्यमित्रानंद गिरिजी महाराज | Deep Tum Jalte Raho | Bharat Mata

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जो कर लिया सो कर चुके हो | Jo Kar Liya So Kar Chuke Ho | सकारात्मक भविष्य की खोज | Kavita

संसार में अकर्मण्यता तथा आलस्य की युक्ति के समान वाक्य है कि “समय कम है” किन्तु विचार की श्रेष्ठा एवं कर्मठ तथा ज्ञानी मानव का सन्देश है कि “अब भी समय है”।

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दीप तुम्हे शत शत प्रणाम | Deep Tumhe Shat Shat Pranaam | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj

हे दीप तुम्हें शत-शत प्रणाम, तुम पूजा के साक्षी ललाम ॥ तुम ऊर्ध्वमुखी सूर्यांश मुखर देते प्रकाश प्रति नगर-नगर । स्नेहासिक्त मृत्तिका धार, युद्धोन्मुख हो तुमसे अन्धकार |

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धरती माता | Dharti Mata | Bharat Mata

धरती पर बैठे हैं, धरती पर सोना हैं कुटिया , प्रसाद - भवन धरती का कोना हैं धरती ने जन्म दिया, धरती दुलारती हैं धरती से खींच गंध , पुष्प राशि लती हैं ।

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प्रीती प्रेम से सहना होगा | Preeti Prem Se Sahena Hoga | Bharat Mata

प्रीती प्रेम से सहना होगा | Preeti Prem Se Sahena Hoga | Bharat Mata

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बांटा नया सवेरा | Banta Naya Sawera | Bharat Mata

बांटा नया सवेरा - स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज

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याद तेरी बहुत आती है | Yaad Teri Bahut Aati Hai (Swami Ji Ke Swar) | Bharat Mata

शपथ लेते हैं, साथ ना चलते हैं लाज छोड़कर भी मन मचलते हैं पैर धरती पर स्वयं आकाश मे उड़ते हैं बात-चीत मे जुबान की चाकू चल जाती है

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वक्त आता है चला जाता है | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj | Waqt Aata Hai Chala Jata Hai

ज़िन्दगी में कुछ पल ऐसे आते हैं जो ज़िन्दगी को खुशियों से भर देते हैं.. तो कुछ पल ग़म के बादल भी साथ लेकर आते हैं। किसी नदी की तरह बहता हुआ वक़्त.. ज़िन्दगी में बहुत कुछ सिखाता रहता है।

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सैनिक तुझे सलाम | Sainik Tujhe Salam | स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महराज | Republic Day | Kavita

युद्धभूमि मसि-पात्र है.. सैनिक कलम समान । बलिदानों के पृष्ठ पर गाथा लिखी महान ।। सीमा पर प्रहरी बने.. नहीं सुविधा की चाह । पट-कुटीर में वास कर.. चले समर की राह ।।

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व्याधि तो वरदान है | Vyadhi to Vardan hai | Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj | Bharat Mata

व्यथित पीड़ित हो न कोई व्याधि तो वरदान है । और साजों से सजा प्रारब्ध का ही गान है । कर्म की जंजीर का यह एक छोटा भाग है । पूर्व के संगीत का ही यह अधूरा राग है ।

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हरि में जग है | Hari Mai Jag Hai | Bharat Mata

हरि में जग है | Hari Mai Jag Hai - ब्रह्मलीन स्वामी सत्यामित्रानंद जी महाराज द्वारा रचित कविता । हरि में जग है जग में हरि है, कर ले मन विश्वास रे। प्रकृति नटी नर्तन करती है, प्रभु मिलन की आस रे।

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शुचितम स्नेह - Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj

शुचितम स्नेह - Swami Satyamitranand Giri Ji Maharaj

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प्रभु के नाम एक पत्र - स्वामी सत्यमित्रनन्द गिरी जी महाराज

प्रभु के नाम एक पत्र - स्वामी सत्यमित्रनन्द गिरी जी महाराज द्वारा रचित सुंदर कविता | Bharat Mata

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मुरली महिमा - गुरुजी की कवितायें

मुरली महिमा - स्वामी सत्यमित्रनन्द गिरी जी महाराज द्वारा रचित सुंदर कविता |

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कृष्ण चरित तो स्वंय काव्य है - गुरुजी की कवितायें

कृष्ण चरित तो स्वंय काव्य है- स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी एक आध्यात्मिक गुरु थे | स्वामी सत्यमित्रानंद को 29 अप्रैल, 1960 को मात्र 26 वर्ष की

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गुलाब और मानव - स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महराज |

गुलाब और मानव - स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महराज |Bharat Mata

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